Bifacial Solar Panel: भारत में बिजली की बढ़ती मांग और महंगे बिजली बिलों से बचने के लिए आजकल लोग सोलर एनर्जी की तरफ़ तेज़ी से बढ़ रहे हैं। इसी दिशा में एक नई तकनीक आई है जिसे Bifacial Solar Panel कहा जाता है। यह सोलर पैनल सामान्य सोलर पैनलों से अलग होता है, क्योंकि यह दोनों दिशाओं से सूर्य की रोशनी को सोखने की क्षमता रखता है। यानी इसकी ऊपरी और निचली दोनों सतहें बिजली उत्पादन में मदद करती हैं। इससे ऊर्जा उत्पादन की क्षमता बढ़ जाती है और एक ही जगह से ज़्यादा बिजली प्राप्त की जा सकती है।
सौर ऊर्जा से चलने वाली तकनीकों में Solar Panel ने काफी तेजी से अपनी जगह बनाई है। इस पैनल को इंस्टॉल करने के लिए किसी विशेष दिशा में लगाना जरूरी नहीं होता, क्योंकि यह दोनों तरफ से ऊर्जा ग्रहण कर सकता है। इसकी यह खासियत इसे बड़े पैमाने पर सोलर प्रोजेक्ट्स के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प बनाती है। साथ ही, यह लंबी अवधि तक काम करता है और रखरखाव की लागत भी कम होती है।

Bifacial Solar Panel
यह सोलर पैनल पारंपरिक पैनलों से अलग इस वजह से होता है क्योंकि इसमें पारदर्शी बैकशीट और ग्लास का उपयोग किया जाता है। जब सूर्य की रोशनी ऊपर से पड़ती है तो ऊपरी सतह इसे बिजली में बदल देती है। वहीं नीचे से परावर्तित होने वाली रोशनी भी निचली सतह पर पड़ती है, जिससे अतिरिक्त बिजली पैदा होती है। इस तरह यह पैनल एक ही समय में दो दिशाओं से सौर ऊर्जा को कैप्चर कर लेता है।
Bifacial Solar Panel की बनावट
इस पैनल में दो तरफ़ ग्लास लगा होता है, जिसके बीच फोटोवोल्टिक सेल्स लगाए जाते हैं। ग्लास की गुणवत्ता इतनी मजबूत होती है कि यह कठोर मौसम में भी टिकाऊ रहता है। कई मॉडल्स में एंटी-रिफ्लेक्टिव कोटिंग का भी इस्तेमाल किया जाता है ताकि अधिक से अधिक रोशनी सेल्स तक पहुँच सके। यही वजह है कि इन पैनलों का जीवनकाल 25 से 30 साल तक का होता है।
Bifacial Solar Panel की प्रमुख खूबियां
इन पैनलों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह पारंपरिक सिंगल-साइड पैनलों की तुलना में 10–30% तक अधिक ऊर्जा पैदा कर सकते हैं। इसके अलावा, इनकी मेंटेनेंस कॉस्ट बहुत कम होती है। यदि इन्हें हल्के कोण पर या परावर्तक सतह (जैसे सफेद टाइल्स या रेत) के ऊपर लगाया जाए तो यह और बेहतर प्रदर्शन करते हैं।
इनकी कीमत और भविष्य की संभावना
इन पैनलों की कीमत सामान्य सोलर पैनलों से थोड़ी अधिक होती है, लेकिन इनसे मिलने वाली अतिरिक्त बिजली इस लागत को कुछ ही वर्षों में कवर कर देती है। भविष्य में जैसे-जैसे उत्पादन बढ़ेगा, इनकी कीमत भी घटने की उम्मीद है। यह तकनीक आने वाले वर्षों में भारतीय सोलर इंडस्ट्री की रीढ़ बन सकती है।
पर्यावरण पर प्रभाव
ये पैनल पर्यावरण के लिए बेहद फायदेमंद हैं क्योंकि ये कार्बन उत्सर्जन को कम करते हैं। इनकी कार्यक्षमता अधिक होने से पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता घटती है और पर्यावरणीय संतुलन बना रहता है।
सरकारी योजनाएं और सब्सिडी
भारत सरकार ने सोलर मिशन के तहत बायफेशियल सोलर पैनलों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। कई राज्यों में इन पर 20% से 40% तक सब्सिडी दी जा रही है ताकि अधिक से अधिक लोग इस तकनीक को अपनाएं।
मेंटेनेंस और वॉरंटी
अधिकांश कंपनियां 25 साल तक की परफॉर्मेंस वॉरंटी प्रदान करती हैं। समय-समय पर इनकी सतह की सफाई और कनेक्शनों की जांच करने से इनकी कार्यक्षमता बनी रहती है।
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